कार खरीदते समय उपभोक्ता कार के बारे में बाजार से कुछ जानकारियां इकट्ठे करता है जैसे गाड़ी की कीमत ,गाड़ी के फीचर्स और और गाड़ी की क्षमता के बारे में बाजार में पता करता है लेकिन यह चीजें शोरूम में देखने पर पता चल जाती है लेकिन एक सबसे बड़ा कारण सुरक्षा से जुड़ा रहता है जिसे शोरूम पर नहीं परखा जा सकता और अभी तक भारत में कोई कार सुरक्षा रेटिंग देने के लिए किसी विशेष एजेंसी का गठन भी नहीं हुआ था लेकिन अब सरकार इसकी और कदम बढ़ा रही है और भारत में एनसीएपी नामक एक कार सुरक्षा चेक एजेंसी की स्थापना करने वाली है।
कैसे होगी रेटिंग
यह सेफ्टी टेस्ट और क्रैश टेस्ट एआईएस (ऑटोमेटिक इंडस्ट्री स्टैंडर्ड) 197 इस प्रक्रिया में कार को रेटिंग देने से पहले उसके डिजाइन, कार के स्ट्रक्चरल बनावट एक्टिव पैसिव सुरक्षा असिस्टेंट और अलग-अलग चाइल्ड और एडल्ट के लिए अलग-अलग सुरक्षा मानकों को निर्धारित किया जाएगा और इन सब प्रक्रिया से निकालने के बाद कार को 1 से लेकर 5 तक नंबरों के माध्यम से उसकी सुरक्षा क्षमता को प्रस्तुत किया जाएगा।
बाजार में विदेशी एजेंसियां और विदेशी कार
इस नियम के लागू होने से पहले भारतीय बाजार में बन रही कारों की सुरक्षा रेटिंग जांच करने के लिए इन्हें विदेशी बाजार में विदेशी एजेंसियों द्वारा जांच कर रेटिंग दि जाती थी जिसमें अधिक समय और पैसा खर्च होता था। लेकिन अब इस नियम के लागू होने के बाद भारतीय एजेंसियों द्वारा जांच करने पर कार उपभोक्ताओं का समय और पैसा दोनों कम खर्च होगा। हालांकि सरकार हमें यह टेस्ट कराने को लेकर बाध्य नहीं करने वाली है। यह निर्णय पूर्णता उपभोक्ता के हाथ में रहेगा।
कार कम्पनियों ने किया स्वागत
भारतीय बाजार में प्रचलित कार कंपनियां जैसे मारुति, महिंद्रा, टाटा, स्कोडा और टोयोटा जैसी बहु प्रचलित कार कंपनियों ने इस कदम का आगे बढ़ कर स्वागत किया है। और भारतीय सरकार का प्रोत्साहन बढ़ाते हुए पहले से ही अपनी कुछ कारों को टेस्टिंग के लिए रजिस्टर्ड कराया है ताकि उस कार कंपनी का उपभोक्ताओं के ऊपर भरोसा और बड़े और कार उपभोक्ता उन कंपनियों की कार खरीदने से पहले सुरक्षा कारणों के अभाव में ना रहे।